Global Design Competition for Theme-based design work on life of Lord Shri Ram

Introduction:

The forthcoming inauguration of the magnificent temple of Lord Shri Ram in Ayodhya marks a historic event in the cultural and religious heritage of India. As this momentous occasion approaches, the Uttar Pradesh government is dedicated to enhancing the overall aesthetic appeal of the Ram Janam Bhoomi Path, the primary entry road leading to the Shri Ram temple. To achieve this, a Global Design Competition has been launched, inviting talented architects and designers from around the world to contribute their creative expressions in the form of sketches, drawings, and designs that celebrate the life and character of Lord Shri Ram. In line with this and the vision of Hon. Prime Minister, India, and the Hon. Chief Minister of Uttar Pradesh for Ayodhya to manifest the finest of Indian traditions and best of India’s new-age infrastructure with an emphasize on extensive participation of the youth, Ayodhya Development Authority (ADA), has planned to maximize the participation especially from the youth, through a Global Design Competition for design work on life of Lord Shri Ram in Ayodhya. With this contest, Ayodhya Development Authority invites creative and innovative minds across the globe to participate in the development in Ayodhya.

Competition Theme

The central theme of this competition is the life of Lord Shri Ram. Specifically, participants are encouraged to create designs that capture key episodes, teachings, and characteristics of Lord Shri Ram's life. However, architects and designers may also submit designs based on any other theme that aligns with the spirit of the competition.

The winning designs will be implemented along Ram Janam Bhoomi Path and Ram Path in Ayodhya, and will be seen by millions of tourists and pilgrims from around the world. The artists and designers behind the winning designs will be recognized and celebrated for their contributions to the cultural heritage of Ayodhya.

Sr.No Competition Name Action
1 चतुर्भुज रूप में अवतार लेते श्रीराम। Enter
2 कौशल्या के अनुरोध पर बालक रूप में प्रकट होते श्रीराम। Enter
3 माता कौशल्या की गोद में बालक श्रीराम। Enter
4 बालक रूप में आभूषणों से सज्जित नुपूर पहने घुटनों के बल चलते श्रीराम। Enter
5 गुरु वशिष्ठ मुनि से विद्याध्ययन करते श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। Enter
6 तीरंदाजी करते श्रीराम और लक्ष्मण। Enter
7 तरुण रूप में धनुर्धारी श्रीराम। Enter
8 श्रीराम का राजकुँवर स्वरूप। Enter
9 गुरुकुल में विद्याध्ययन करते श्रीराम। Enter
10 गुरुकुल में शिव-पूजा करते श्रीराम। Enter
11 महर्षि विश्वामित्र के साथ वन में राक्षसों का वध करते श्रीराम और लक्ष्मण। Enter
12 अहिल्या का उद्धार करते श्रीराम। Enter
13 जनकपुर में नगर भ्रमण करते श्रीराम और लक्ष्मण। Enter
14 पुष्प-वाटिका में सीता जी को सखियों के संग फूलों की ओट से निहारते श्रीराम। Enter
15 राजा जनक के दरबार में धुनर्भंग करते श्रीराम। Enter
16 सीता से स्वयंवर करते श्रीराम। Enter
17 वर और वधू के रूप में श्रीराम और सीता जी की मनोहारी छवि। Enter
18 अयोध्या से वनगमन के लिए प्रस्थान करते श्रीराम, सीता और लक्ष्मण। Enter
19 निषादराज को गले लगाते श्रीराम। Enter
20 भारद्वाज आश्रम में महर्षि भारद्वाज से भेंट करते श्रीराम। Enter
21 पंचवटी में सीता जी के साथ पर्णकुटी में बैठे हुए वनवासी श्रीराम। Enter
22 चित्रकूट मंे भरत को गले लगाते हुए श्रीराम। Enter
23 स्वर्ण मृग का आखेट करते श्रीराम। Enter
24 दण्डकारण्य में प्रवेश करते श्रीराम। Enter
25 घायल जटायु से मिलन करते श्रीराम। Enter
26 जटायु का दाह-कर्म करते श्रीराम। Enter
27 कबन्ध का उद्धार करते श्रीराम। Enter
28 शबरी के प्रेम में जूठे बेर खाते श्रीराम। Enter
29 श्रीराम नारद संवाद। Enter
30 पम्पा सरोवर पर भिक्षुक के रूप में हनुमान जी से पहली बार भेंट करते हुए श्रीराम। Enter
31 सुग्रीव से मैत्री करते श्रीराम। Enter
32 समुद्र पर क्रोधित होते हुए श्रीराम। Enter
33 रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना करते श्रीराम। Enter
34 सेतुबन्ध करते श्रीराम। Enter
35 वानर सेना के साथ श्रीराम, लक्ष्मण का लंका में प्रवेश। Enter
36 श्रीराम और रावण युद्ध। Enter
37 श्रीराम द्वारा रावण का वध। Enter
38 पुष्पक विमान द्वारा श्रीराम, सीता जी, लक्ष्मण और हनुमान जी की अयोध्या वापसी। Enter
39 अयोध्या आगमन पर श्रीराम के स्वागत में दीपावली उत्सव। Enter
40 श्रीराम का राज्याभिषेक। Enter
41 ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्यान्य देवताओं द्वारा स्वर्ग से पुष्पवर्षा। Enter
42 श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न समेत श्रीराम दरबार की झाँकी। Enter
43 श्री विष्णु के रूप में श्रीराम का विराट् स्वरूप दर्शन। Enter
44 अयोध्यावासियों के समक्ष राजाधिराज स्वरूप में श्रीराम। Enter
45 श्री हनुमान जी के हृदय के मध्य विराजते श्रीराम और सीता जी का स्वरूप। Enter
46 चित्रकूट के घाट पर श्रीरामचरितमानस लिखते हुए गोस्वामी तुलसीदास। Enter
47 रामायण का लेखन करते हुए महर्षि वाल्मीकि। Enter
48 एक फलक पर विभिन्न भारतीय भाषाओं के रामकथा पोथियों का अंकन, जिसे एक विराट् वृक्ष के पत्तों के रूप में दर्शाया जा सकता है। प्रत्येक पत्ते पर हर भाषा की रामकथा का नाम अंकित हो। उदाहरण के तौर पर कम्ब रामायण, कृतिवास रामायण, तोरबी रामायण, आनन्द रामायण, अध्यात्म रामायण, विचित्र रामायण, भावार्थ रामायण, रंगनाथ रामायण, दण्डी रामायण, विलंक रामायण, सप्तकाण्ड रामायण तथा रामेश्वरचरित आदि। Enter
49 श्रीराम का दिव्य मनोहारी स्वरूप, जिसमें हृदय पर कौस्तुभमणि और श्रीवत्स चिन्ह का अंकन। Enter
50 समस्त मंगल चिन्हों के साथ श्रीराम के चरणचिन्ह। Enter
51 ऋषि विश्वामित्र की सलाह पर राजा दशरथ द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ सम्पन्न करना। Enter
52 श्रीराम के प्रकट होने पर आकाश से देवता और गन्धर्वों द्वारा स्तुति और पुष्प वर्षा करना। Enter
53 अयोध्या के राजमहल में श्रीराम तीनों भाईयों के साथ बाल लीला करते हुए। Enter
54 ऋषि विश्वामित्र के निवेदन पर महाराज दशरथ श्रीराम और लक्ष्मण को उनके साथ जाने की आज्ञा देना। Enter
55 ऋषि विश्वामित्र के आदेश पर ताड़का वध करना। Enter
56 ऋषि विश्वामित्र द्वारा श्रीराम को दिव्यास्त्र प्रदान करते हुए अस्त्रों की संहार-विधि की जानकारी देना। Enter
57 श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करते हुए राक्षसों का संहार करना। Enter
58 श्रीराम, लक्ष्मण तथा ऋषियों सहित विश्वामित्र का मिथिला को प्रस्थान। Enter
59 श्रीराम के द्वारा अहल्या का उद्धार करना। Enter
60 श्रीराम और लक्ष्मण जी के पुष्प वाटिका में जानकी जी और सखियों से भेंट। Enter
61 राजा जनक का विश्वामित्र, श्रीराम और लक्ष्मण का सत्कार करते हुए पिनाक धनुष का परिचय देना। Enter
62 श्रीराम के पिनाक की प्रत्यंचा चढ़ाते ही उसका टूट जाना। Enter
63 क्रोधित परशुराम और लक्ष्मण का संवाद। Enter
64 राजा जनक का बुलावे पर महाराज दशरथ का अपने पुत्रों और मंत्रियों सहित जनकपुर पहुँचना। Enter
65 श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों का विवाह। Enter
66 राजा दशरथ का पुत्रों और वधुओं के साथ अयोध्या में प्रवेश। Enter
67 श्रीराम को युवराज बनाने के लिए राजा दशरथ का मंत्रियों से संवाद। Enter
68 श्रीराम के अभिषेक का समाचार पाकर खिन्न हुई मन्थरा और कैकेयी का संवाद। Enter
69 कैकेयी का कोपभवन में जाना। Enter
70 कोपभवन पहुँचने पर महाराज दशरथ को प्रतिज्ञाबद्ध करके भरत के लिए राज्याभिषेक और राम के लिए चैदह वर्ष का वनवास माँगना। Enter
71 श्रीराम और कैकेयी का संवाद। Enter
72 राजा दशरथ की अन्य रानियों का विलाप और कौसल्या का अचेत हो जाना। Enter
73 लक्ष्मण का रोष, उनको श्रीराम को बलपूर्वक राज्य पर अधिकार करने के लिए प्रेरित करना। Enter
74 सीता का वन में साथ चलने का अग्राह, विलाप देखकर श्रीराम का साथ चलने की स्वीकृति देना। Enter
75 श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी का वल्कल धारण कर महाराज दशरथ के पास जाना। Enter
76 वनवास की आज्ञा को प्रसन्नता से स्वीकार करने के बाद प्रभु श्रीराम, सीता और लक्ष्मण का अपने पिता राजा दशरथ को हाथ जोड़कर चरण स्पर्श करने तथा उनकी दक्षिणावर्त (दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर) परिक्रमा करने का दृश्यांकन। Enter
77 रथ पर सारथी सुमन्त तथा श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण का उस पर उपस्थित होना। अयोध्या से वन-मार्ग की ओर सुमन्त का रथ लेकर आगे बढ़ना। श्रीराम वन-गमन के वियोग से भरी हुई अयोध्या की जनता का समूह में रथ के साथ प्रस्थान। Enter
78 अयोध्या के रनिवास में शैय्या पर दुःखी पड़े हुए राजा दशरथ। सम्मुख खड़ी हुई रानी कौसल्या का विलाप। Enter
79 श्रीराम का अयोध्यापुरवासियों के साथ तमसा नदी के तट पर पहुँचकर उन्हें वापस अयोध्या लौटने का आग्रह करना। Enter
80 सीता और लक्ष्मण सहित श्रीराम का रात्रि में तमसा के तट पर निवास करना। Enter
81 अर्द्धरात्रि में अयोध्या की दुखियारी प्रजा को सोते हुए छोड़कर चुपचाप राम, सीता और लक्ष्मण का वन की ओर जाना। Enter
82 श्रीराम के अभाव में प्रातःकाल अयोध्यावासियों का तमसा पर विलाप करना और वहीं अयोध्या नगर में नगर की स्त्रियों का विलाप करना। Enter
83 श्रीराम द्वारा कोशल जनपद को लाँघते हुए आगे जाना और गोमती नदी को लाँघते हुए मोरों और हँसों के कलरव से भरी हुई स्यन्दिका नदी को पार करना। Enter
84 कोशल देश छोड़ने की सीमा को पार करने के उपरान्त अयोध्या की ओर मुख करके श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का अयोध्या नगर से वनवास में जाने की आज्ञा माँगना| Enter
85 शंृगवेरपुर में गंगा तट पर श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण का पहुँचकर रात्रि-विश्राम का दृश्य। Enter
86 निषादराज गुह द्वारा श्रीराम, लक्ष्मण और माता जानकी का सत्कार। Enter
87 श्रीराम एवं निषादराज का सवं ाद एवं केवट द्वारा श्रीराम का चरण पखारना। Enter
88 गंगा पार करने के उपरान्त माता सीता द्वारा केवट को मुद्रिका देने का प्रयत्न करना, परन्तु कवेट का अस्वीकार करना। Enter
89 श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी का प्रयागराज (सगंम) मंे स्थित ऋषि भारद्वाज के आश्रम में अतिथि-सत्कार एवं ऋषि द्वारा चित्रकटू जाने का मार्ग बताना Enter
90 पुत्र के वियोग में महाराज दशरथ का प्राण त्याग देना। Enter
91 चित्रकटू पहुँचकर वन की शाभ्ेाा दखेते हुए श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी जी का महर्षि वाल्मीकि का दर्शन करना। Enter
92 श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण जी द्वारा पर्णशाला का निर्माण। Enter
93 भरत का तीनांे माताओं, गुरु वशिष्ठ एवं अयोध्यावासियांे लागांे के साथ शंृगवरेपुर आगमन। Enter
94 निषादराज गुह और भरत की बातचीत एवं भरत का शोक - विलाप। Enter
95 भारद्वाज मुनि के आज्ञानुसार भरत का चित्रकूट के लिए प्रस्थान। Enter
96 कोल-किरातों द्वारा श्रीराम एवं सीता जी को भरत और अयोध्यावासियांे के आगमन की सूचना देना। Enter
97 भरत और शत्रुघ्न आदि के साथ आश्रम पहुँचकर पर्णशाला को देखना एवं विलाप करते हुए श्रीराम के चरणों में प्रणाम करना और श्रीराम द्वारा उन्हें हृदय से लगाना। Enter
98 श्रीराम द्वारा माताओं की चरण-वन्दना तथा वशिष्ठ जी को प्रणाम कर उनके साथ बैठना। Enter
99 श्रीराम को भरत द्वारा पिता की मृत्यु का समाचार देना। Enter
100 श्रीराम का भरत को राज्य ग्रहण के लिए राजनीति का उपदेश देना एवं भरत द्वारा उसे अस्वीकार करना। Enter
101 ऋषियों द्वारा भरत को श्रीराम की आज्ञा के अनुसार वापस जाने की सलाह एवं भरत द्वारा श्रीराम की चरण पादुका सिर पर रखकर वापस लौटना। Enter
102 भरत द्वारा नन्दीग्राम पहुँचकर श्रीराम की चरण पादुकाओं को अभिषिक्त करके राज्य का कार्य सम्पादित करना। Enter
103 श्रीराम, लक्ष्मण एवं माता जानकी का अत्रि मुनि के आश्रम पहुँचकर उनके द्वारा सत्कृत होना एव ं अनुसयूया द्वारा सीता का सत्कार। Enter
104 वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण और लक्ष्मण द्वारा उसका वध। Enter
105 श्रीराम का अगस्त्य मुनि के आश्रम मंे प्रवेश, अतिथि-सत्कार तथा मुनि द्वारा दिव्य अस्त्र-शस्त्रों को प्रदान करना। Enter
106 पचंवटी के मार्ग में जटायु और श्रीराम की भेंट एवं परिचय प्रदान करना। Enter
107 श्रीराम, सीता और लक्ष्मण जी का पंचवटी के रमणीय प्रदशे में आश्रम का निर्माण करना। Enter
108 आश्रम में श्रीराम, माता जानकी एवं लक्ष्मण का शूर्पणखा से संवाद। Enter
109 लक्ष्मण द्वारा सूर्पणखा की नाक काटना। Enter
110 श्रीराम, लक्ष्मण के द्वारा खर और दूषण का वध। Enter
111 शूर्पणखा और रावण संवाद। Enter
112 रावण के द्वारा मारीच को स्वर्ण मृग बनने के लिए प्रेरित करना। Enter
113 स्वर्णमृग दखेकर माता जानकी का आकर्षित होना। Enter
114 श्रीराम द्वारा स्वर्णमृग रूपी मारीच का वध। Enter
115 माता जानकी द्वारा लक्ष्मण को श्रीराम के पास भेजना। Enter
116 रावण का साधुवेश में आश्रम पहुँचकर भिक्षा माँगना। Enter
117 लक्ष्मण के द्वारा ‘लक्ष्मण रेखा’ (सुरक्षा कवच) खींचना। Enter
118 रावण द्वारा सीता का हरण करना। Enter
119 आकाश मार्ग में सीता का विलाप और जटायु-रावण युद्ध। Enter
120 माता सीता का े लके र रावण का लकं ा म ंे पहुँचकर अशाके वाटिका मं े रखना Enter
121 सीता जी द्वारा रावण को फटकारना। Enter
122 श्रीराम और लक्ष्मण क द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता। Enter
123 श्रीराम और लक्ष्मण का घायल अवस्था में पक्षिराज जटायु से भेंट और श्रीराम द्वारा उन्हें गले लगाकर रोना। Enter
124 जटायु का प्राण-त्याग और श्रीराम द्वारा अन्तिम-सस्ंकार करना। Enter
125 श्रीराम द्वारा कबन्ध का उद्धार। Enter
126 कबन्ध के अन्तिम संस्कार के समय कबन्ध का दिव्य रूप मे प्रकट होकर श्रीराम को ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव से मित्रता करने की सलाह देना। Enter
127 पम्पा नदी के तट पर शबरी से भेटं एवं उसके द्वारा दिये गये बेर को ग्रहण करना। Enter
128 शबरी के साथ श्रीराम और लक्ष्मण का मतंग वन को देखना। Enter
129 पम्पा सरोवर के तट पर हनुमान जी भिक्षुरूप में श्रीराम और लक्ष्मण से भेंट। Enter
130 हनुमान जी का भिक्षुरूप को त्यागकर वानर रूप में श्रीराम और लक्ष्मण को पीठ पर बैठाकर सुग्रीव के पास जाना। Enter
131 ऋष्यमकू पर्वत की गुफा में श्रीराम और लक्ष्मण की सुग्रीव से भेंट । Enter
132 सुग्रीव द्वारा श्री राम को माता जानकी के आभूषण दिखाना। Enter
133 बालि और सुग्रीव का युद्ध। Enter
134 श्रीराम के बाण से घायल बालि का संवाद। Enter
135 श्रीराम के द्वारा बालि का उद्धार। Enter
136 बालि की पत्नी तारा का विलाप। Enter
137 श्रीराम के द्वारा सुग्रीव का राज्याभिषेक और अंगद को युवराज पद प्रदान करना। Enter
138 श्रीराम द्वारा हनुमान जी को मुद्रिका देना। Enter
139 श्रीराम की आज्ञा से सुग्रीव द्वारा माता सीता की खोज के लिए वानरों को भेजना। Enter
140 वानरों का समुद्र तट पर सम्पाती से भेंट और अंगद के द्वारा सम्पाती को जटायु की मृत्यु का समाचार देना। Enter
141 सम्पाती द्वारा त्रिकटू पर्वत पर बसी लंका के अशोक वाटिका में उपस्थित सीता का पता बताना। Enter
142 समुद्र तट पर जामवन्त द्वारा हनुमान जी को उनकी शक्ति का स्मरण दिलाकर उत्साहित करना। Enter
143 हनुमान जी का छलांग लगाकर महेन्द्र पर्वत पर चढ़ना। Enter
144 मैनाक पर्वत द्वारा हनुमान जी का स्वागत और विश्राम करने की सलाह देना। Enter
145 समुद्र मार्ग में हनुमान जी आरै सुरसा की भेंट, सुरसा के मुँह में प्रवेश करके वापस बाहर आना। Enter
146 हनुमान जी द्वारा मायावी सिंहिका का वध। Enter
147 लंका में प्रवेश के समय हनुमान जी द्वारा लंकिनी पर प्रहार। Enter
148 लघु रूप में हनुमान जी का लंका में प्रवेश। Enter
149 लंका में हनुमान जी और विभीषण का सवांद तथा अशोक वाटिका का पता बताना। Enter
150 अशोक वाटिका वृक्ष की ओट से माता जानकी को देखकर प्रसन्न होना। Enter
151 अपनी स्त्रियों से घिरे हुए रावण का अशोक वाटिका में प्रवेश और माता जानकी को प्रलोभन देना। Enter
152 अशोक वाटिका में माता जानकी का करुण विलाप एवं प्राणों को त्यागने का विचार। Enter
153 त्रिजटा द्वारा माता जानकी को स्वप्न की बात बताकर सात्ंवना देना। Enter
154 अशोक वाटिका में सीता जी को हनुमान जी द्वारा अपना परिचय देने पर सीता जी का सशंकित होना, उसके उपरान्त श्रीराम द्वारा दी गई मुद्रिका देने पर विश्वास करना। Enter
155 सीता जी की आज्ञानुसार अशोक वाटिका में लगे हुए फलों से अपनी भूख मिटाना और अशोक वाटिका को तहस-नहस करना। Enter
156 हनुमान जी द्वारा प्रहस्त के पुत्र जम्बुमाली का वध। Enter
157 हनुमान जी द्वारा रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध। Enter
158 हनुमान जी आरै मेघनाद का युद्ध एवं दिव्यास्त्र में बाधँना। Enter
159 हनुमान जी का दिव्यास्त्र में बँधकर रावण के दरबार में उपस्थित होना। Enter
160 रावण का प्रहस्त के माध्यम से हनुमान जी से लंका आने कारण पुछवाना और हनुमान का अपने को श्रीराम का दूत बताना। Enter
161 राक्षसों द्वारा हनुमान जी के पूँछ में आग लगाकर नगर में घुमाना। Enter
162 हनुमान जी द्वारा लकांदहन और राक्षसों का विलाप। Enter
163 हनुमान जी का पुनः सीता जी से मिलना और चूडामणि लेना। Enter
164 हनुमान जी का समुद्र लाँघकर जाम्बवान और अगंद आदि से मिलना और लंका यात्रा का सारा वृत्तान्त सुनाना। Enter
165 हनुमान आदि सभी साथियों का मधुवन में जाकर मधु एवं फलों का मनमाना उपभोग करना और वन-रक्षक को घसीटना। Enter
166 दधिमुख से सुग्रीव का सन्देश सुनकर अंगद, हनुमान आदि वानरों का किष्किन्धा पहुँचकर श्रीराम को प्रणाम कर माता सीता का समाचार देना। Enter
167 श्रीराम द्वारा हनुमान जी को हृदय से लगाना। Enter
168 हनुमान जी द्वारा श्रीराम को माता सीता द्वारा दी गयी चूड़ामणि देन पर उनका विलाप करना। Enter
169 श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान एवं सुग्रीव द्वारा युद्ध की तैयारी का विमर्श करना। Enter
170 श्रीराम आदि के साथ वानर सेना का प्रस्थान और समुद्र तट पर पड़ाव। Enter
171 विभीषण का रावण से श्रीराम की अजेयता बताकर सीता को लौटा देने के लिए अनुरोध करने पर उन्हें लंका से निष्कासित करना। Enter
172 विभीषण का श्रीराम की शरण में आना और श्रीराम का शरणागत की रक्षा का महत्त्व बताकर उन्हें आश्रय देना। Enter
173 श्रीराम का समुद्र देव पर क्रोधित होना और बाण मारकर विक्षुब्ध कर देना। Enter
174 श्रीराम के पछूने पर विभीषण द्वारा रावण की शक्ति का परिचय देना और श्रीराम का रावण-वध की प्रतिज्ञा करके विभीषण को लंका के राज्य पर अभिषिक्त करने का वचन देना। Enter
175 श्रीराम के क्रोध को देखकर समुद्र देव का प्रकट होना और नल-नील द्वारा पुल निर्माण करने का रहस्य बताना। Enter
176 नल, नील और वानर सेना द्वारा सौ योजन लम्बे पुल का निर्माण करना। Enter
177 श्रीराम द्वारा रामेश्वरम में शिवलिगं की स्थापना कर विधिवत पूजन करना। Enter
178 श्री राम का सेना सहित समुद्र पार कर सुबेल पर्वत पर पड़ाव डालना। Enter
179 रावण के भेजे हुए गुप्तचरों एवं शार्दूल का वानर सेना का समाचार बताना और मुख्य वीरों का परिचय देना। Enter
180 श्रीराम का मायारचित कटा हुआ मस्तक दिखाकर रावण द्वारा सीता को मोह में डालने का प्रयत्न। Enter
181 सरमा का सीता को सान्त्वना देना, रावण की माया का भेद खोलना, श्रीराम के आगमन का प्रिय समाचार सुनाना और उनके विजयी होने का विश्वास दिलाना। Enter
182 माल्यवान का रावण को श्रीराम से सन्धि करने के लिए समझाना। Enter
183 मन्दादेरी द्वारा रावण को समझाना और श्रीराम की महिमा का बखान। Enter
184 श्रीरामजी के बाण से रावण के मुकुट-छत्रादि का गिरना। Enter
185 लंका पहुँचकर श्रीराम के दतू अगंद का राज-दरबार में रावण से संवाद और पराक्रम दिखाना। Enter
186 लंका से वापस आकर अंगद और श्रीराम का संवाद। Enter
187 लंका पर वानरों की चढा़ई तथा राक्षसों के साथ घनघोर युद्ध। Enter
188 इन्द्रजीत को वाणों से श्रीराम और लक्ष्मण का अचेत होने पर वानरों में शोक । Enter
189 गरुण देव द्वारा नागपाश से श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त करना। Enter
190 श्रीराम के बन्धनमुक्त होने का समाचार पाकर रावण का धूम्राक्ष को युद्ध के लिए भेजना। Enter
191 हनुमान जी द्वारा धूम्राक्ष का वध। Enter
192 रावण की आज्ञा से कुम्भकर्ण का जगाया जाना। Enter
193 कुम्भ्कर्ण और रावण का संवाद। Enter
194 युद्ध भूमि में कुम्भकर्ण और विभीषण संवाद। Enter
195 कुम्भकर्ण द्वारा वानरों का संहार। Enter
196 श्रीराम और कुम्भकर्ण का भयानक युद्ध। Enter
197 श्रीराम के बाण से कुम्भकर्ण का कटा हुआ सिर रावण के सामने गिरना। Enter
198 कुम्भकर्ण के कटे हुए सिर को देखकर रावण का विलाप। Enter
199 अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण द्वारा उसका वध। Enter
200 इन्द्रजित के शक्तिबाण से लक्ष्मण का मूर्च्छित होना। Enter
201 हनुमान जी का सुषेण वैद्य को लाना और संजीवनी बूटी लाने के लिए प्रस्थान करना। Enter
202 हनुमान जी के द्वारा कालनेमि का उद्धार। Enter
203 भरत जी के बाण से हनुमान जी का मूर्च्छित होना। Enter
204 लक्ष्मण जी का सिर गोद में रखकर विलाप करते श्रीराम। Enter
205 हनुमान जी द्वारा लाई गयी संजीवनी बूटी के प्रयोग से लक्ष्मण जी की मूर्च्छा का टूटना। Enter
206 रावण की आज्ञा से खर के पुत्र मकराक्ष का युद्ध के लिए प्रस्थान। Enter
207 श्रीराम के द्वारा मकराक्ष का वध। Enter
208 इन्द्रजीत का निकुम्भिला मन्दिर में जाकर हवन करना। Enter
209 हनुमान जी के द्वारा इन्द्रजीत के यज्ञ का विध्वंस करना और युद्ध के लिए ललकारना। Enter
210 लक्ष्मण और इन्द्रजित का भयंकर युद्ध। Enter
211 लक्ष्मण के बाणों से इन्द्रजीत का वध। Enter
212 श्रीराम और लक्ष्मण का अहिरावण द्वारा पातालपुरी में ले जाना। Enter
213 हनुमान जी का पाताल लाके में पहुँचकर अहिरावण का वध। Enter
214 हनुमान जी द्वारा श्रीराम, लक्ष्मण को वापस लाना। Enter
215 लक्ष्मण और रावण का भयंकर युद्ध। Enter
216 रावण के प्रहार से लक्ष्मण का मूर्च्छित होना। Enter
217 इन्द्र के द्वारा भेजे गये रथ पर बैठकर श्रीराम और रावण का घोर युद्ध। Enter
218 अगस्त्य मुनि का श्रीराम को विजय के लिए आदित्य हृदय के पाठ की सम्मति देना। Enter
219 विभीषण द्वारा श्रीराम को रावण के वध का रहस्य बताना। Enter
220 श्रीराम और रावण का घोर युद्ध। Enter
221 श्रीराम के द्वारा रावण का वध। Enter
222 श्रीराम द्वारा रावण का वध करने पर आकाश से देवतओं द्वारा पुष्पवर्षा करना। Enter
223 रावण का वध होने से दुःखी विभीषण का विलाप। Enter
224 श्रीराम का विभीषण को समझाकर रावण के अन्त्येष्टि सस्ंकार के लिए आदेश देना। Enter
225 रावण वध से दुःखी मन्दादेरी एवं अन्य रानियों का विलाप। Enter
226 विभीषण द्वारा रावण का अन्तिम संस्कार सम्पन्न करना। Enter
227 श्रीराम द्वारा विभीषण का राज्याभिषेक । Enter
228 श्रीराम की आज्ञा से विभीषण का सीता जी को उनके समीप लाना आरै सीता की श्रीराम से भेंट । Enter
229 सीता जी का श्रीराम को उपालम्भपूर्ण उत्तर देकर सतीत्त्व की परीक्षा देने के लिए अग्नि में प्रवेश करना। Enter
230 मूर्तिमान अग्निदेव का सीता जी को लेकर चिता से प्रकट होना और श्रीराम को समर्पित करके उनकी पवित्रता को प्रमाणित Enter
231 श्रीराम के अनुरोध से इन्द्र का मरे हुए वानरों को जीवित करना, देवताओं का प्रस्थान और वानर सेना का विश्राम। Enter
232 श्रीराम का अयोध्या जाने के लिए उद्यत होने और उनकी आज्ञा से विभीषण का पुष्पक विमान को मँगाना। Enter
233 श्रीराम की आज्ञा से विभीषण द्वारा वानरों का विशेष सत्कार। Enter
234 विभीषण सहित वानरों को लेकर श्रीराम का पुष्पक विमान से अयोध्या को प्रस्थान। Enter
235 अयोध्या की यात्रा करते समय श्रीराम द्वारा सीता जी को मार्ग के स्थानो को दिखाना। Enter
236 महर्षि भारद्वाज के आश्रम में पहुँच कर श्रीराम से भेंट और मनोवांछित वर की प्राप्ति। Enter
237 हनुमान जी द्वारा नन्दिग्राम में भरत को श्रीराम के वापस आने का समाचार देना। Enter
238 अयोध्या में श्रीराम के स्वागत की तैयारी। Enter
239 नन्दिग्राम में श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण का आगमन। Enter
240 श्रीराम का आगमन, भरत आदि के साथ उनका मिलाप। Enter
241 श्रीराम द्वारा पुष्पक विमान को कुबेर के पास वापस भेजना। Enter
242 श्रीराम के आगमन पर अयोध्या या को दुल्हन की तरह सजाना। Enter
243 दीपो से अयोध्या को रौशन करना, दीपावली महोत्सव। Enter
244 श्रीराम की भव्य नगर यात्रा। Enter
245 कुलगुरु वशिष्ठ द्वारा श्रीराम का राज्याभिषेक । Enter
246 ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्यान्य देवताओं द्वारा स्वर्ग से पुष्पवर्षा। Enter
247 अयोध्या से विभीषण तथा वानरों की विदाई। Enter
248 श्रीराम कों राज्याभिषेक के उपरान्त श्रीराम दरबार (राम-पंचायतन) का विहगंम दृश्य। Enter
249 सरयू के तट पर धनुषाकार बसी अयोध्या नगरी का अलौकिक दृश्य। Enter
250 इक्ष्वाकु/रघुकुल वशं का प्रतीक चिन्ह श्री आदिदेव सर्यूनारायण भगवान के मंगल प्रतीक का अंकन। Enter
251 अन्य Enter

Specification-

a. The designs should be appropriate to be implemented on a surface of size 20 foot (width) x 9 foot (height).

b. The designs can be in the form of computer aided graphic illustrations and sketches.

c. There are a total 250 concepts about which the submissions are invited. The candidates may provide designs based on any other theme too however, it shall be in the spirit of the purpose of this competition.

Eligibility for Applicants

The challenge is open to creative and innovative students / young professionals / firms/ consultants/ Organizations / Individuals/ Companies etc. from the field of architecture, design, planning, engineering, urban design, landscape design, or any other related field.

Awards

The selected entries will be given an appreciation certificate and awarded with a price money of INR 20,000/- for each concept.

Important Dates

Sr.No Event Date
1 Launch Event 07/09/2023
3 Submission Closing Date 6:00 PM, 15/09/2023

How to Apply

⦿ There is no entry fee for participating in the competition.

⦿ The entrants must complete the online registrations on the competition portal.

⦿ Participants are required to submit updated, accurate information along with their entries: including name, contact information, proof of age, nationality, and identity.

⦿ The participant should make sure that his / her contact information provided along with the entry is accurate and updated for further communication. Entries with incomplete profiles would not be considered.

Submission requirements

⦿ Submission should be in A3 (29.7 Cm x 42.0 Cm) format.

⦿ Document should be submitted in PDF format only with maximum size of 5 MB.

⦿ The sheets should be legible and readable. The design should not be imprinted or watermarked.

⦿ In case of any copyright issues, the participant/applicant will be responsible to settle any legal proceedings arising out of it at his/her end. Ayodhya Development Authority will not be responsible.

⦿ The sheet must not include ANY INFORMATION (Name, Organization, School, etc.) that may reveal participant’s identity.

Selection Process:

⦿ All entries received by the stipulated date and found in order, shall be evaluated by a Selection Committee, constituted for the purpose. The Committee will shortlist the entries and will decide the winner if an entry is found suitable.

⦿ The decision of the Selection Committee would be final and binding on all the contestants and no clarifications would be issued to any participants or on any decision of the Selection Committee.

⦿ Any legal proceedings arising out of the competition/ its entries/ winners shall be subject to local jurisdiction of Uttar Pradesh State only. Expenses incurred for this purpose will be borne by the parties themselves.

⦿ Entries would be judged based on elements of creativity, technical excellence, visual impact and how well they communicate the theme.

Rules:

⦿ The design must be original. Plagiarism of any nature will not be allowed, the winning design should not be in violation of copyright Acts in the country of origin or the Indian Copyright Act, 1957 or the Intellectual Property Rights of any third party.

⦿ By agreeing to submit, an applicant hereby: warrants that he or she is the original designer/creator of the Design. Further, that the Design submitted by the applicant or any constituent part of it is not the intellectual property of any third party. The applicant also understands that in case the submitted Design is found to be the intellectual property of any third party, his/her application will be stand rejected, and the Ayodhya Development Authority (ADA) will not be responsible for any infringement whatsoever. Also, ADA will not indemnify any claim by a third party in connection with infringement of Intellectual Property Rights related to Design submitted by an applicant.

⦿ In case of any copyright issues, the participant/applicant will be responsible to settle any legal proceedings arising out of it at his/her end. Ayodhya Development Authority will not be responsible

⦿ All entries are governed by the provisions of Emblems and Names (Prevention of improper use) Act, 1950 and any violation of the said Act will result in disqualification.

⦿ The design must not contain any provocative, objectionable, or inappropriate content.

⦿ The onus will be on the participant/applicant to prove that he/she is the only authorized representative to send the entry for the Award Scheme. In case of the selection of the design for an award, it will be given to the participant/applicant only. Ayodhya Development Authority will, in no way, be responsible for any dispute, legal or otherwise, arising out of it.

⦿ Payment to the winner will be made through electronic mode for which the necessary bank details will be taken after the declaration of winner of the contest.

⦿ The responsibility to comply with the Submission of entries, Competition Technical Criteria and Selection Process fully lies with the participant(s) and Ayodhya Development Authority shall not be answerable to any dispute raised by a third party.

⦿ The winner will be declared through email. Ayodhya Development Authority may announce the winner name on its social media pages and may also upload details on the official website of the Authority.

⦿ All winners shall be required to provide the original open source file of the design. The winning designs would be the intellectual property of the Ayodhya Development Authority and the winner shall not exercise any right over it. Ayodhya Development Authority will have unfettered right to modify the prize-winning design / entry or add/delete any info/design feature in any form to it. The winner will not exercise any right over their design and shall not use it in any way.

⦿ The winning design is meant to be used by Ayodhya Development Authority for promotional and display purposes, information, education, and communication materials and also for any other use as may be deemed appropriate.

⦿ There will be no notification to participants of rejected entries.

⦿ Ayodhya Development Authority reserves the right to cancel or amend all or any part of this Contest and/ or Terms and Conditions/ Technical Parameters/ Evaluation Criteria. However, any changes to the Terms and Conditions/ Technical Parameters/Evaluation Criteria, or the cancellation of the Contest, will be updated/ posted on the platform through which initial communication of contest is made. It would be the responsibility of the participant to keep themselves informed of any changes in the Terms and Conditions/Technical Parameters/ Evaluation Criteria stated for this Contest.