The forthcoming inauguration of the magnificent temple of Lord Shri Ram in Ayodhya marks a historic event in the cultural and religious heritage of India. As this momentous occasion approaches, the Uttar Pradesh government is dedicated to enhancing the overall aesthetic appeal of the Ram Janam Bhoomi Path, the primary entry road leading to the Shri Ram temple. To achieve this, a Global Design Competition has been launched, inviting talented architects and designers from around the world to contribute their creative expressions in the form of sketches, drawings, and designs that celebrate the life and character of Lord Shri Ram. In line with this and the vision of Hon. Prime Minister, India, and the Hon. Chief Minister of Uttar Pradesh for Ayodhya to manifest the finest of Indian traditions and best of India’s new-age infrastructure with an emphasize on extensive participation of the youth, Ayodhya Development Authority (ADA), has planned to maximize the participation especially from the youth, through a Global Design Competition for design work on life of Lord Shri Ram in Ayodhya. With this contest, Ayodhya Development Authority invites creative and innovative minds across the globe to participate in the development in Ayodhya.
The central theme of this competition is the life of Lord Shri Ram. Specifically, participants are encouraged to create designs that capture key episodes, teachings, and characteristics of Lord Shri Ram's life. However, architects and designers may also submit designs based on any other theme that aligns with the spirit of the competition.
The winning designs will be implemented along Ram Janam Bhoomi Path and Ram Path in Ayodhya, and will be seen by millions of tourists and pilgrims from around the world. The artists and designers behind the winning designs will be recognized and celebrated for their contributions to the cultural heritage of Ayodhya.
Sr.No | Competition Name | Action |
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1 | चतुर्भुज रूप में अवतार लेते श्रीराम। | Enter |
2 | कौशल्या के अनुरोध पर बालक रूप में प्रकट होते श्रीराम। | Enter |
3 | माता कौशल्या की गोद में बालक श्रीराम। | Enter |
4 | बालक रूप में आभूषणों से सज्जित नुपूर पहने घुटनों के बल चलते श्रीराम। | Enter |
5 | गुरु वशिष्ठ मुनि से विद्याध्ययन करते श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न। | Enter |
6 | तीरंदाजी करते श्रीराम और लक्ष्मण। | Enter |
7 | तरुण रूप में धनुर्धारी श्रीराम। | Enter |
8 | श्रीराम का राजकुँवर स्वरूप। | Enter |
9 | गुरुकुल में विद्याध्ययन करते श्रीराम। | Enter |
10 | गुरुकुल में शिव-पूजा करते श्रीराम। | Enter |
11 | महर्षि विश्वामित्र के साथ वन में राक्षसों का वध करते श्रीराम और लक्ष्मण। | Enter |
12 | अहिल्या का उद्धार करते श्रीराम। | Enter |
13 | जनकपुर में नगर भ्रमण करते श्रीराम और लक्ष्मण। | Enter |
14 | पुष्प-वाटिका में सीता जी को सखियों के संग फूलों की ओट से निहारते श्रीराम। | Enter |
15 | राजा जनक के दरबार में धुनर्भंग करते श्रीराम। | Enter |
16 | सीता से स्वयंवर करते श्रीराम। | Enter |
17 | वर और वधू के रूप में श्रीराम और सीता जी की मनोहारी छवि। | Enter |
18 | अयोध्या से वनगमन के लिए प्रस्थान करते श्रीराम, सीता और लक्ष्मण। | Enter |
19 | निषादराज को गले लगाते श्रीराम। | Enter |
20 | भारद्वाज आश्रम में महर्षि भारद्वाज से भेंट करते श्रीराम। | Enter |
21 | पंचवटी में सीता जी के साथ पर्णकुटी में बैठे हुए वनवासी श्रीराम। | Enter |
22 | चित्रकूट मंे भरत को गले लगाते हुए श्रीराम। | Enter |
23 | स्वर्ण मृग का आखेट करते श्रीराम। | Enter |
24 | दण्डकारण्य में प्रवेश करते श्रीराम। | Enter |
25 | घायल जटायु से मिलन करते श्रीराम। | Enter |
26 | जटायु का दाह-कर्म करते श्रीराम। | Enter |
27 | कबन्ध का उद्धार करते श्रीराम। | Enter |
28 | शबरी के प्रेम में जूठे बेर खाते श्रीराम। | Enter |
29 | श्रीराम नारद संवाद। | Enter |
30 | पम्पा सरोवर पर भिक्षुक के रूप में हनुमान जी से पहली बार भेंट करते हुए श्रीराम। | Enter |
31 | सुग्रीव से मैत्री करते श्रीराम। | Enter |
32 | समुद्र पर क्रोधित होते हुए श्रीराम। | Enter |
33 | रामेश्वरम में शिवलिंग की स्थापना करते श्रीराम। | Enter |
34 | सेतुबन्ध करते श्रीराम। | Enter |
35 | वानर सेना के साथ श्रीराम, लक्ष्मण का लंका में प्रवेश। | Enter |
36 | श्रीराम और रावण युद्ध। | Enter |
37 | श्रीराम द्वारा रावण का वध। | Enter |
38 | पुष्पक विमान द्वारा श्रीराम, सीता जी, लक्ष्मण और हनुमान जी की अयोध्या वापसी। | Enter |
39 | अयोध्या आगमन पर श्रीराम के स्वागत में दीपावली उत्सव। | Enter |
40 | श्रीराम का राज्याभिषेक। | Enter |
41 | ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्यान्य देवताओं द्वारा स्वर्ग से पुष्पवर्षा। | Enter |
42 | श्रीराम, सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न समेत श्रीराम दरबार की झाँकी। | Enter |
43 | श्री विष्णु के रूप में श्रीराम का विराट् स्वरूप दर्शन। | Enter |
44 | अयोध्यावासियों के समक्ष राजाधिराज स्वरूप में श्रीराम। | Enter |
45 | श्री हनुमान जी के हृदय के मध्य विराजते श्रीराम और सीता जी का स्वरूप। | Enter |
46 | चित्रकूट के घाट पर श्रीरामचरितमानस लिखते हुए गोस्वामी तुलसीदास। | Enter |
47 | रामायण का लेखन करते हुए महर्षि वाल्मीकि। | Enter |
48 | एक फलक पर विभिन्न भारतीय भाषाओं के रामकथा पोथियों का अंकन, जिसे एक विराट् वृक्ष के पत्तों के रूप में दर्शाया जा सकता है। प्रत्येक पत्ते पर हर भाषा की रामकथा का नाम अंकित हो। उदाहरण के तौर पर कम्ब रामायण, कृतिवास रामायण, तोरबी रामायण, आनन्द रामायण, अध्यात्म रामायण, विचित्र रामायण, भावार्थ रामायण, रंगनाथ रामायण, दण्डी रामायण, विलंक रामायण, सप्तकाण्ड रामायण तथा रामेश्वरचरित आदि। | Enter |
49 | श्रीराम का दिव्य मनोहारी स्वरूप, जिसमें हृदय पर कौस्तुभमणि और श्रीवत्स चिन्ह का अंकन। | Enter |
50 | समस्त मंगल चिन्हों के साथ श्रीराम के चरणचिन्ह। | Enter |
51 | ऋषि विश्वामित्र की सलाह पर राजा दशरथ द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ सम्पन्न करना। | Enter |
52 | श्रीराम के प्रकट होने पर आकाश से देवता और गन्धर्वों द्वारा स्तुति और पुष्प वर्षा करना। | Enter |
53 | अयोध्या के राजमहल में श्रीराम तीनों भाईयों के साथ बाल लीला करते हुए। | Enter |
54 | ऋषि विश्वामित्र के निवेदन पर महाराज दशरथ श्रीराम और लक्ष्मण को उनके साथ जाने की आज्ञा देना। | Enter |
55 | ऋषि विश्वामित्र के आदेश पर ताड़का वध करना। | Enter |
56 | ऋषि विश्वामित्र द्वारा श्रीराम को दिव्यास्त्र प्रदान करते हुए अस्त्रों की संहार-विधि की जानकारी देना। | Enter |
57 | श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा करते हुए राक्षसों का संहार करना। | Enter |
58 | श्रीराम, लक्ष्मण तथा ऋषियों सहित विश्वामित्र का मिथिला को प्रस्थान। | Enter |
59 | श्रीराम के द्वारा अहल्या का उद्धार करना। | Enter |
60 | श्रीराम और लक्ष्मण जी के पुष्प वाटिका में जानकी जी और सखियों से भेंट। | Enter |
61 | राजा जनक का विश्वामित्र, श्रीराम और लक्ष्मण का सत्कार करते हुए पिनाक धनुष का परिचय देना। | Enter |
62 | श्रीराम के पिनाक की प्रत्यंचा चढ़ाते ही उसका टूट जाना। | Enter |
63 | क्रोधित परशुराम और लक्ष्मण का संवाद। | Enter |
64 | राजा जनक का बुलावे पर महाराज दशरथ का अपने पुत्रों और मंत्रियों सहित जनकपुर पहुँचना। | Enter |
65 | श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चारों भाइयों का विवाह। | Enter |
66 | राजा दशरथ का पुत्रों और वधुओं के साथ अयोध्या में प्रवेश। | Enter |
67 | श्रीराम को युवराज बनाने के लिए राजा दशरथ का मंत्रियों से संवाद। | Enter |
68 | श्रीराम के अभिषेक का समाचार पाकर खिन्न हुई मन्थरा और कैकेयी का संवाद। | Enter |
69 | कैकेयी का कोपभवन में जाना। | Enter |
70 | कोपभवन पहुँचने पर महाराज दशरथ को प्रतिज्ञाबद्ध करके भरत के लिए राज्याभिषेक और राम के लिए चैदह वर्ष का वनवास माँगना। | Enter |
71 | श्रीराम और कैकेयी का संवाद। | Enter |
72 | राजा दशरथ की अन्य रानियों का विलाप और कौसल्या का अचेत हो जाना। | Enter |
73 | लक्ष्मण का रोष, उनको श्रीराम को बलपूर्वक राज्य पर अधिकार करने के लिए प्रेरित करना। | Enter |
74 | सीता का वन में साथ चलने का अग्राह, विलाप देखकर श्रीराम का साथ चलने की स्वीकृति देना। | Enter |
75 | श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी का वल्कल धारण कर महाराज दशरथ के पास जाना। | Enter |
76 | वनवास की आज्ञा को प्रसन्नता से स्वीकार करने के बाद प्रभु श्रीराम, सीता और लक्ष्मण का अपने पिता राजा दशरथ को हाथ जोड़कर चरण स्पर्श करने तथा उनकी दक्षिणावर्त (दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर) परिक्रमा करने का दृश्यांकन। | Enter |
77 | रथ पर सारथी सुमन्त तथा श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण का उस पर उपस्थित होना। अयोध्या से वन-मार्ग की ओर सुमन्त का रथ लेकर आगे बढ़ना। श्रीराम वन-गमन के वियोग से भरी हुई अयोध्या की जनता का समूह में रथ के साथ प्रस्थान। | Enter |
78 | अयोध्या के रनिवास में शैय्या पर दुःखी पड़े हुए राजा दशरथ। सम्मुख खड़ी हुई रानी कौसल्या का विलाप। | Enter |
79 | श्रीराम का अयोध्यापुरवासियों के साथ तमसा नदी के तट पर पहुँचकर उन्हें वापस अयोध्या लौटने का आग्रह करना। | Enter |
80 | सीता और लक्ष्मण सहित श्रीराम का रात्रि में तमसा के तट पर निवास करना। | Enter |
81 | अर्द्धरात्रि में अयोध्या की दुखियारी प्रजा को सोते हुए छोड़कर चुपचाप राम, सीता और लक्ष्मण का वन की ओर जाना। | Enter |
82 | श्रीराम के अभाव में प्रातःकाल अयोध्यावासियों का तमसा पर विलाप करना और वहीं अयोध्या नगर में नगर की स्त्रियों का विलाप करना। | Enter |
83 | श्रीराम द्वारा कोशल जनपद को लाँघते हुए आगे जाना और गोमती नदी को लाँघते हुए मोरों और हँसों के कलरव से भरी हुई स्यन्दिका नदी को पार करना। | Enter |
84 | कोशल देश छोड़ने की सीमा को पार करने के उपरान्त अयोध्या की ओर मुख करके श्रीराम, लक्ष्मण और सीता का अयोध्या नगर से वनवास में जाने की आज्ञा माँगना| | Enter |
85 | शंृगवेरपुर में गंगा तट पर श्रीराम, जानकी और लक्ष्मण का पहुँचकर रात्रि-विश्राम का दृश्य। | Enter |
86 | निषादराज गुह द्वारा श्रीराम, लक्ष्मण और माता जानकी का सत्कार। | Enter |
87 | श्रीराम एवं निषादराज का सवं ाद एवं केवट द्वारा श्रीराम का चरण पखारना। | Enter |
88 | गंगा पार करने के उपरान्त माता सीता द्वारा केवट को मुद्रिका देने का प्रयत्न करना, परन्तु कवेट का अस्वीकार करना। | Enter |
89 | श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी का प्रयागराज (सगंम) मंे स्थित ऋषि भारद्वाज के आश्रम में अतिथि-सत्कार एवं ऋषि द्वारा चित्रकटू जाने का मार्ग बताना | Enter |
90 | पुत्र के वियोग में महाराज दशरथ का प्राण त्याग देना। | Enter |
91 | चित्रकटू पहुँचकर वन की शाभ्ेाा दखेते हुए श्रीराम, लक्ष्मण और जानकी जी का महर्षि वाल्मीकि का दर्शन करना। | Enter |
92 | श्रीराम की आज्ञा से लक्ष्मण जी द्वारा पर्णशाला का निर्माण। | Enter |
93 | भरत का तीनांे माताओं, गुरु वशिष्ठ एवं अयोध्यावासियांे लागांे के साथ शंृगवरेपुर आगमन। | Enter |
94 | निषादराज गुह और भरत की बातचीत एवं भरत का शोक - विलाप। | Enter |
95 | भारद्वाज मुनि के आज्ञानुसार भरत का चित्रकूट के लिए प्रस्थान। | Enter |
96 | कोल-किरातों द्वारा श्रीराम एवं सीता जी को भरत और अयोध्यावासियांे के आगमन की सूचना देना। | Enter |
97 | भरत और शत्रुघ्न आदि के साथ आश्रम पहुँचकर पर्णशाला को देखना एवं विलाप करते हुए श्रीराम के चरणों में प्रणाम करना और श्रीराम द्वारा उन्हें हृदय से लगाना। | Enter |
98 | श्रीराम द्वारा माताओं की चरण-वन्दना तथा वशिष्ठ जी को प्रणाम कर उनके साथ बैठना। | Enter |
99 | श्रीराम को भरत द्वारा पिता की मृत्यु का समाचार देना। | Enter |
100 | श्रीराम का भरत को राज्य ग्रहण के लिए राजनीति का उपदेश देना एवं भरत द्वारा उसे अस्वीकार करना। | Enter |
101 | ऋषियों द्वारा भरत को श्रीराम की आज्ञा के अनुसार वापस जाने की सलाह एवं भरत द्वारा श्रीराम की चरण पादुका सिर पर रखकर वापस लौटना। | Enter |
102 | भरत द्वारा नन्दीग्राम पहुँचकर श्रीराम की चरण पादुकाओं को अभिषिक्त करके राज्य का कार्य सम्पादित करना। | Enter |
103 | श्रीराम, लक्ष्मण एवं माता जानकी का अत्रि मुनि के आश्रम पहुँचकर उनके द्वारा सत्कृत होना एव ं अनुसयूया द्वारा सीता का सत्कार। | Enter |
104 | वन के भीतर श्रीराम, लक्ष्मण और सीता पर विराध का आक्रमण और लक्ष्मण द्वारा उसका वध। | Enter |
105 | श्रीराम का अगस्त्य मुनि के आश्रम मंे प्रवेश, अतिथि-सत्कार तथा मुनि द्वारा दिव्य अस्त्र-शस्त्रों को प्रदान करना। | Enter |
106 | पचंवटी के मार्ग में जटायु और श्रीराम की भेंट एवं परिचय प्रदान करना। | Enter |
107 | श्रीराम, सीता और लक्ष्मण जी का पंचवटी के रमणीय प्रदशे में आश्रम का निर्माण करना। | Enter |
108 | आश्रम में श्रीराम, माता जानकी एवं लक्ष्मण का शूर्पणखा से संवाद। | Enter |
109 | लक्ष्मण द्वारा सूर्पणखा की नाक काटना। | Enter |
110 | श्रीराम, लक्ष्मण के द्वारा खर और दूषण का वध। | Enter |
111 | शूर्पणखा और रावण संवाद। | Enter |
112 | रावण के द्वारा मारीच को स्वर्ण मृग बनने के लिए प्रेरित करना। | Enter |
113 | स्वर्णमृग दखेकर माता जानकी का आकर्षित होना। | Enter |
114 | श्रीराम द्वारा स्वर्णमृग रूपी मारीच का वध। | Enter |
115 | माता जानकी द्वारा लक्ष्मण को श्रीराम के पास भेजना। | Enter |
116 | रावण का साधुवेश में आश्रम पहुँचकर भिक्षा माँगना। | Enter |
117 | लक्ष्मण के द्वारा ‘लक्ष्मण रेखा’ (सुरक्षा कवच) खींचना। | Enter |
118 | रावण द्वारा सीता का हरण करना। | Enter |
119 | आकाश मार्ग में सीता का विलाप और जटायु-रावण युद्ध। | Enter |
120 | माता सीता का े लके र रावण का लकं ा म ंे पहुँचकर अशाके वाटिका मं े रखना | Enter |
121 | सीता जी द्वारा रावण को फटकारना। | Enter |
122 | श्रीराम और लक्ष्मण क द्वारा सीता की खोज और उनके न मिलने से श्रीराम की व्याकुलता। | Enter |
123 | श्रीराम और लक्ष्मण का घायल अवस्था में पक्षिराज जटायु से भेंट और श्रीराम द्वारा उन्हें गले लगाकर रोना। | Enter |
124 | जटायु का प्राण-त्याग और श्रीराम द्वारा अन्तिम-सस्ंकार करना। | Enter |
125 | श्रीराम द्वारा कबन्ध का उद्धार। | Enter |
126 | कबन्ध के अन्तिम संस्कार के समय कबन्ध का दिव्य रूप मे प्रकट होकर श्रीराम को ऋष्यमूक पर्वत पर सुग्रीव से मित्रता करने की सलाह देना। | Enter |
127 | पम्पा नदी के तट पर शबरी से भेटं एवं उसके द्वारा दिये गये बेर को ग्रहण करना। | Enter |
128 | शबरी के साथ श्रीराम और लक्ष्मण का मतंग वन को देखना। | Enter |
129 | पम्पा सरोवर के तट पर हनुमान जी भिक्षुरूप में श्रीराम और लक्ष्मण से भेंट। | Enter |
130 | हनुमान जी का भिक्षुरूप को त्यागकर वानर रूप में श्रीराम और लक्ष्मण को पीठ पर बैठाकर सुग्रीव के पास जाना। | Enter |
131 | ऋष्यमकू पर्वत की गुफा में श्रीराम और लक्ष्मण की सुग्रीव से भेंट । | Enter |
132 | सुग्रीव द्वारा श्री राम को माता जानकी के आभूषण दिखाना। | Enter |
133 | बालि और सुग्रीव का युद्ध। | Enter |
134 | श्रीराम के बाण से घायल बालि का संवाद। | Enter |
135 | श्रीराम के द्वारा बालि का उद्धार। | Enter |
136 | बालि की पत्नी तारा का विलाप। | Enter |
137 | श्रीराम के द्वारा सुग्रीव का राज्याभिषेक और अंगद को युवराज पद प्रदान करना। | Enter |
138 | श्रीराम द्वारा हनुमान जी को मुद्रिका देना। | Enter |
139 | श्रीराम की आज्ञा से सुग्रीव द्वारा माता सीता की खोज के लिए वानरों को भेजना। | Enter |
140 | वानरों का समुद्र तट पर सम्पाती से भेंट और अंगद के द्वारा सम्पाती को जटायु की मृत्यु का समाचार देना। | Enter |
141 | सम्पाती द्वारा त्रिकटू पर्वत पर बसी लंका के अशोक वाटिका में उपस्थित सीता का पता बताना। | Enter |
142 | समुद्र तट पर जामवन्त द्वारा हनुमान जी को उनकी शक्ति का स्मरण दिलाकर उत्साहित करना। | Enter |
143 | हनुमान जी का छलांग लगाकर महेन्द्र पर्वत पर चढ़ना। | Enter |
144 | मैनाक पर्वत द्वारा हनुमान जी का स्वागत और विश्राम करने की सलाह देना। | Enter |
145 | समुद्र मार्ग में हनुमान जी आरै सुरसा की भेंट, सुरसा के मुँह में प्रवेश करके वापस बाहर आना। | Enter |
146 | हनुमान जी द्वारा मायावी सिंहिका का वध। | Enter |
147 | लंका में प्रवेश के समय हनुमान जी द्वारा लंकिनी पर प्रहार। | Enter |
148 | लघु रूप में हनुमान जी का लंका में प्रवेश। | Enter |
149 | लंका में हनुमान जी और विभीषण का सवांद तथा अशोक वाटिका का पता बताना। | Enter |
150 | अशोक वाटिका वृक्ष की ओट से माता जानकी को देखकर प्रसन्न होना। | Enter |
151 | अपनी स्त्रियों से घिरे हुए रावण का अशोक वाटिका में प्रवेश और माता जानकी को प्रलोभन देना। | Enter |
152 | अशोक वाटिका में माता जानकी का करुण विलाप एवं प्राणों को त्यागने का विचार। | Enter |
153 | त्रिजटा द्वारा माता जानकी को स्वप्न की बात बताकर सात्ंवना देना। | Enter |
154 | अशोक वाटिका में सीता जी को हनुमान जी द्वारा अपना परिचय देने पर सीता जी का सशंकित होना, उसके उपरान्त श्रीराम द्वारा दी गई मुद्रिका देने पर विश्वास करना। | Enter |
155 | सीता जी की आज्ञानुसार अशोक वाटिका में लगे हुए फलों से अपनी भूख मिटाना और अशोक वाटिका को तहस-नहस करना। | Enter |
156 | हनुमान जी द्वारा प्रहस्त के पुत्र जम्बुमाली का वध। | Enter |
157 | हनुमान जी द्वारा रावण के पुत्र अक्षय कुमार का वध। | Enter |
158 | हनुमान जी आरै मेघनाद का युद्ध एवं दिव्यास्त्र में बाधँना। | Enter |
159 | हनुमान जी का दिव्यास्त्र में बँधकर रावण के दरबार में उपस्थित होना। | Enter |
160 | रावण का प्रहस्त के माध्यम से हनुमान जी से लंका आने कारण पुछवाना और हनुमान का अपने को श्रीराम का दूत बताना। | Enter |
161 | राक्षसों द्वारा हनुमान जी के पूँछ में आग लगाकर नगर में घुमाना। | Enter |
162 | हनुमान जी द्वारा लकांदहन और राक्षसों का विलाप। | Enter |
163 | हनुमान जी का पुनः सीता जी से मिलना और चूडामणि लेना। | Enter |
164 | हनुमान जी का समुद्र लाँघकर जाम्बवान और अगंद आदि से मिलना और लंका यात्रा का सारा वृत्तान्त सुनाना। | Enter |
165 | हनुमान आदि सभी साथियों का मधुवन में जाकर मधु एवं फलों का मनमाना उपभोग करना और वन-रक्षक को घसीटना। | Enter |
166 | दधिमुख से सुग्रीव का सन्देश सुनकर अंगद, हनुमान आदि वानरों का किष्किन्धा पहुँचकर श्रीराम को प्रणाम कर माता सीता का समाचार देना। | Enter |
167 | श्रीराम द्वारा हनुमान जी को हृदय से लगाना। | Enter |
168 | हनुमान जी द्वारा श्रीराम को माता सीता द्वारा दी गयी चूड़ामणि देन पर उनका विलाप करना। | Enter |
169 | श्रीराम, लक्ष्मण, हनुमान एवं सुग्रीव द्वारा युद्ध की तैयारी का विमर्श करना। | Enter |
170 | श्रीराम आदि के साथ वानर सेना का प्रस्थान और समुद्र तट पर पड़ाव। | Enter |
171 | विभीषण का रावण से श्रीराम की अजेयता बताकर सीता को लौटा देने के लिए अनुरोध करने पर उन्हें लंका से निष्कासित करना। | Enter |
172 | विभीषण का श्रीराम की शरण में आना और श्रीराम का शरणागत की रक्षा का महत्त्व बताकर उन्हें आश्रय देना। | Enter |
173 | श्रीराम का समुद्र देव पर क्रोधित होना और बाण मारकर विक्षुब्ध कर देना। | Enter |
174 | श्रीराम के पछूने पर विभीषण द्वारा रावण की शक्ति का परिचय देना और श्रीराम का रावण-वध की प्रतिज्ञा करके विभीषण को लंका के राज्य पर अभिषिक्त करने का वचन देना। | Enter |
175 | श्रीराम के क्रोध को देखकर समुद्र देव का प्रकट होना और नल-नील द्वारा पुल निर्माण करने का रहस्य बताना। | Enter |
176 | नल, नील और वानर सेना द्वारा सौ योजन लम्बे पुल का निर्माण करना। | Enter |
177 | श्रीराम द्वारा रामेश्वरम में शिवलिगं की स्थापना कर विधिवत पूजन करना। | Enter |
178 | श्री राम का सेना सहित समुद्र पार कर सुबेल पर्वत पर पड़ाव डालना। | Enter |
179 | रावण के भेजे हुए गुप्तचरों एवं शार्दूल का वानर सेना का समाचार बताना और मुख्य वीरों का परिचय देना। | Enter |
180 | श्रीराम का मायारचित कटा हुआ मस्तक दिखाकर रावण द्वारा सीता को मोह में डालने का प्रयत्न। | Enter |
181 | सरमा का सीता को सान्त्वना देना, रावण की माया का भेद खोलना, श्रीराम के आगमन का प्रिय समाचार सुनाना और उनके विजयी होने का विश्वास दिलाना। | Enter |
182 | माल्यवान का रावण को श्रीराम से सन्धि करने के लिए समझाना। | Enter |
183 | मन्दादेरी द्वारा रावण को समझाना और श्रीराम की महिमा का बखान। | Enter |
184 | श्रीरामजी के बाण से रावण के मुकुट-छत्रादि का गिरना। | Enter |
185 | लंका पहुँचकर श्रीराम के दतू अगंद का राज-दरबार में रावण से संवाद और पराक्रम दिखाना। | Enter |
186 | लंका से वापस आकर अंगद और श्रीराम का संवाद। | Enter |
187 | लंका पर वानरों की चढा़ई तथा राक्षसों के साथ घनघोर युद्ध। | Enter |
188 | इन्द्रजीत को वाणों से श्रीराम और लक्ष्मण का अचेत होने पर वानरों में शोक । | Enter |
189 | गरुण देव द्वारा नागपाश से श्रीराम और लक्ष्मण को मुक्त करना। | Enter |
190 | श्रीराम के बन्धनमुक्त होने का समाचार पाकर रावण का धूम्राक्ष को युद्ध के लिए भेजना। | Enter |
191 | हनुमान जी द्वारा धूम्राक्ष का वध। | Enter |
192 | रावण की आज्ञा से कुम्भकर्ण का जगाया जाना। | Enter |
193 | कुम्भ्कर्ण और रावण का संवाद। | Enter |
194 | युद्ध भूमि में कुम्भकर्ण और विभीषण संवाद। | Enter |
195 | कुम्भकर्ण द्वारा वानरों का संहार। | Enter |
196 | श्रीराम और कुम्भकर्ण का भयानक युद्ध। | Enter |
197 | श्रीराम के बाण से कुम्भकर्ण का कटा हुआ सिर रावण के सामने गिरना। | Enter |
198 | कुम्भकर्ण के कटे हुए सिर को देखकर रावण का विलाप। | Enter |
199 | अतिकाय का भयंकर युद्ध और लक्ष्मण द्वारा उसका वध। | Enter |
200 | इन्द्रजित के शक्तिबाण से लक्ष्मण का मूर्च्छित होना। | Enter |
201 | हनुमान जी का सुषेण वैद्य को लाना और संजीवनी बूटी लाने के लिए प्रस्थान करना। | Enter |
202 | हनुमान जी के द्वारा कालनेमि का उद्धार। | Enter |
203 | भरत जी के बाण से हनुमान जी का मूर्च्छित होना। | Enter |
204 | लक्ष्मण जी का सिर गोद में रखकर विलाप करते श्रीराम। | Enter |
205 | हनुमान जी द्वारा लाई गयी संजीवनी बूटी के प्रयोग से लक्ष्मण जी की मूर्च्छा का टूटना। | Enter |
206 | रावण की आज्ञा से खर के पुत्र मकराक्ष का युद्ध के लिए प्रस्थान। | Enter |
207 | श्रीराम के द्वारा मकराक्ष का वध। | Enter |
208 | इन्द्रजीत का निकुम्भिला मन्दिर में जाकर हवन करना। | Enter |
209 | हनुमान जी के द्वारा इन्द्रजीत के यज्ञ का विध्वंस करना और युद्ध के लिए ललकारना। | Enter |
210 | लक्ष्मण और इन्द्रजित का भयंकर युद्ध। | Enter |
211 | लक्ष्मण के बाणों से इन्द्रजीत का वध। | Enter |
212 | श्रीराम और लक्ष्मण का अहिरावण द्वारा पातालपुरी में ले जाना। | Enter |
213 | हनुमान जी का पाताल लाके में पहुँचकर अहिरावण का वध। | Enter |
214 | हनुमान जी द्वारा श्रीराम, लक्ष्मण को वापस लाना। | Enter |
215 | लक्ष्मण और रावण का भयंकर युद्ध। | Enter |
216 | रावण के प्रहार से लक्ष्मण का मूर्च्छित होना। | Enter |
217 | इन्द्र के द्वारा भेजे गये रथ पर बैठकर श्रीराम और रावण का घोर युद्ध। | Enter |
218 | अगस्त्य मुनि का श्रीराम को विजय के लिए आदित्य हृदय के पाठ की सम्मति देना। | Enter |
219 | विभीषण द्वारा श्रीराम को रावण के वध का रहस्य बताना। | Enter |
220 | श्रीराम और रावण का घोर युद्ध। | Enter |
221 | श्रीराम के द्वारा रावण का वध। | Enter |
222 | श्रीराम द्वारा रावण का वध करने पर आकाश से देवतओं द्वारा पुष्पवर्षा करना। | Enter |
223 | रावण का वध होने से दुःखी विभीषण का विलाप। | Enter |
224 | श्रीराम का विभीषण को समझाकर रावण के अन्त्येष्टि सस्ंकार के लिए आदेश देना। | Enter |
225 | रावण वध से दुःखी मन्दादेरी एवं अन्य रानियों का विलाप। | Enter |
226 | विभीषण द्वारा रावण का अन्तिम संस्कार सम्पन्न करना। | Enter |
227 | श्रीराम द्वारा विभीषण का राज्याभिषेक । | Enter |
228 | श्रीराम की आज्ञा से विभीषण का सीता जी को उनके समीप लाना आरै सीता की श्रीराम से भेंट । | Enter |
229 | सीता जी का श्रीराम को उपालम्भपूर्ण उत्तर देकर सतीत्त्व की परीक्षा देने के लिए अग्नि में प्रवेश करना। | Enter |
230 | मूर्तिमान अग्निदेव का सीता जी को लेकर चिता से प्रकट होना और श्रीराम को समर्पित करके उनकी पवित्रता को प्रमाणित | Enter |
231 | श्रीराम के अनुरोध से इन्द्र का मरे हुए वानरों को जीवित करना, देवताओं का प्रस्थान और वानर सेना का विश्राम। | Enter |
232 | श्रीराम का अयोध्या जाने के लिए उद्यत होने और उनकी आज्ञा से विभीषण का पुष्पक विमान को मँगाना। | Enter |
233 | श्रीराम की आज्ञा से विभीषण द्वारा वानरों का विशेष सत्कार। | Enter |
234 | विभीषण सहित वानरों को लेकर श्रीराम का पुष्पक विमान से अयोध्या को प्रस्थान। | Enter |
235 | अयोध्या की यात्रा करते समय श्रीराम द्वारा सीता जी को मार्ग के स्थानो को दिखाना। | Enter |
236 | महर्षि भारद्वाज के आश्रम में पहुँच कर श्रीराम से भेंट और मनोवांछित वर की प्राप्ति। | Enter |
237 | हनुमान जी द्वारा नन्दिग्राम में भरत को श्रीराम के वापस आने का समाचार देना। | Enter |
238 | अयोध्या में श्रीराम के स्वागत की तैयारी। | Enter |
239 | नन्दिग्राम में श्रीराम, माता जानकी और लक्ष्मण का आगमन। | Enter |
240 | श्रीराम का आगमन, भरत आदि के साथ उनका मिलाप। | Enter |
241 | श्रीराम द्वारा पुष्पक विमान को कुबेर के पास वापस भेजना। | Enter |
242 | श्रीराम के आगमन पर अयोध्या या को दुल्हन की तरह सजाना। | Enter |
243 | दीपो से अयोध्या को रौशन करना, दीपावली महोत्सव। | Enter |
244 | श्रीराम की भव्य नगर यात्रा। | Enter |
245 | कुलगुरु वशिष्ठ द्वारा श्रीराम का राज्याभिषेक । | Enter |
246 | ब्रह्मा, विष्णु, महेश और अन्यान्य देवताओं द्वारा स्वर्ग से पुष्पवर्षा। | Enter |
247 | अयोध्या से विभीषण तथा वानरों की विदाई। | Enter |
248 | श्रीराम कों राज्याभिषेक के उपरान्त श्रीराम दरबार (राम-पंचायतन) का विहगंम दृश्य। | Enter |
249 | सरयू के तट पर धनुषाकार बसी अयोध्या नगरी का अलौकिक दृश्य। | Enter |
250 | इक्ष्वाकु/रघुकुल वशं का प्रतीक चिन्ह श्री आदिदेव सर्यूनारायण भगवान के मंगल प्रतीक का अंकन। | Enter |
251 | अन्य | Enter |
a. The designs should be appropriate to be implemented on a surface of size 20 foot (width) x 9 foot (height).
b. The designs can be in the form of computer aided graphic illustrations and sketches.
c. There are a total 250 concepts about which the submissions are invited. The candidates may provide designs based on any other theme too however, it shall be in the spirit of the purpose of this competition.
The challenge is open to creative and innovative students / young professionals / firms/ consultants/ Organizations / Individuals/ Companies etc. from the field of architecture, design, planning, engineering, urban design, landscape design, or any other related field.
The selected entries will be given an appreciation certificate and awarded with a price money of INR 20,000/- for each concept.
Sr.No | Event | Date |
---|---|---|
1 | Launch Event | 07/09/2023 |
3 | Submission Closing Date | 6:00 PM, 15/09/2023 |
⦿ There is no entry fee for participating in the competition.
⦿ The entrants must complete the online registrations on the competition portal.
⦿ Participants are required to submit updated, accurate information along with their entries: including name, contact information, proof of age, nationality, and identity.
⦿ The participant should make sure that his / her contact information provided along with the entry is accurate and updated for further communication. Entries with incomplete profiles would not be considered.
⦿ Submission should be in A3 (29.7 Cm x 42.0 Cm) format.
⦿ Document should be submitted in PDF format only with maximum size of 5 MB.
⦿ The sheets should be legible and readable. The design should not be imprinted or watermarked.
⦿ In case of any copyright issues, the participant/applicant will be responsible to settle any legal proceedings arising out of it at his/her end. Ayodhya Development Authority will not be responsible.
⦿ The sheet must not include ANY INFORMATION (Name, Organization, School, etc.) that may reveal participant’s identity.
⦿ All entries received by the stipulated date and found in order, shall be evaluated by a Selection Committee, constituted for the purpose. The Committee will shortlist the entries and will decide the winner if an entry is found suitable.
⦿ The decision of the Selection Committee would be final and binding on all the contestants and no clarifications would be issued to any participants or on any decision of the Selection Committee.
⦿ Any legal proceedings arising out of the competition/ its entries/ winners shall be subject to local jurisdiction of Uttar Pradesh State only. Expenses incurred for this purpose will be borne by the parties themselves.
⦿ Entries would be judged based on elements of creativity, technical excellence, visual impact and how well they communicate the theme.
⦿ The design must be original. Plagiarism of any nature will not be allowed, the winning design should not be in violation of copyright Acts in the country of origin or the Indian Copyright Act, 1957 or the Intellectual Property Rights of any third party.
⦿ By agreeing to submit, an applicant hereby: warrants that he or she is the original designer/creator of the Design. Further, that the Design submitted by the applicant or any constituent part of it is not the intellectual property of any third party. The applicant also understands that in case the submitted Design is found to be the intellectual property of any third party, his/her application will be stand rejected, and the Ayodhya Development Authority (ADA) will not be responsible for any infringement whatsoever. Also, ADA will not indemnify any claim by a third party in connection with infringement of Intellectual Property Rights related to Design submitted by an applicant.
⦿ In case of any copyright issues, the participant/applicant will be responsible to settle any legal proceedings arising out of it at his/her end. Ayodhya Development Authority will not be responsible
⦿ All entries are governed by the provisions of Emblems and Names (Prevention of improper use) Act, 1950 and any violation of the said Act will result in disqualification.
⦿ The design must not contain any provocative, objectionable, or inappropriate content.
⦿ The onus will be on the participant/applicant to prove that he/she is the only authorized representative to send the entry for the Award Scheme. In case of the selection of the design for an award, it will be given to the participant/applicant only. Ayodhya Development Authority will, in no way, be responsible for any dispute, legal or otherwise, arising out of it.
⦿ Payment to the winner will be made through electronic mode for which the necessary bank details will be taken after the declaration of winner of the contest.
⦿ The responsibility to comply with the Submission of entries, Competition Technical Criteria and Selection Process fully lies with the participant(s) and Ayodhya Development Authority shall not be answerable to any dispute raised by a third party.
⦿ The winner will be declared through email. Ayodhya Development Authority may announce the winner name on its social media pages and may also upload details on the official website of the Authority.
⦿ All winners shall be required to provide the original open source file of the design. The winning designs would be the intellectual property of the Ayodhya Development Authority and the winner shall not exercise any right over it. Ayodhya Development Authority will have unfettered right to modify the prize-winning design / entry or add/delete any info/design feature in any form to it. The winner will not exercise any right over their design and shall not use it in any way.
⦿ The winning design is meant to be used by Ayodhya Development Authority for promotional and display purposes, information, education, and communication materials and also for any other use as may be deemed appropriate.
⦿ There will be no notification to participants of rejected entries.
⦿ Ayodhya Development Authority reserves the right to cancel or amend all or any part of this Contest and/ or Terms and Conditions/ Technical Parameters/ Evaluation Criteria. However, any changes to the Terms and Conditions/ Technical Parameters/Evaluation Criteria, or the cancellation of the Contest, will be updated/ posted on the platform through which initial communication of contest is made. It would be the responsibility of the participant to keep themselves informed of any changes in the Terms and Conditions/Technical Parameters/ Evaluation Criteria stated for this Contest.